सामाजिक क्रांति के शिल्पी (Sāmājika Krāṃti Ke Śilpī)

सामाजिक क्रांति के शिल्पी (Sāmājika Krāṃti Ke Śilpī)

HindiEbook
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आज चहुँओर डार्विन के विकासवाद की जो चर्चाएँ चल रही हैं, उससे पश्चिम का जनमानस तो पूर्णतः प्रभावित है ही, साथ ही हमारा घर भी अब अछूता नहीं रहा है। हमारी भावी पीढी आज उसी का गुणगान करने को आतुर हो रही है, जबकि यह सत्यता की कसौटी से परे है। जब पश्चिम को मनुष्य होने का भान भी नहीं था। तब हमने वेद जैसे उच्चकोटि के साहित्य का सृजन कर इस भ्रमित जगत का पथ प्रशस्त किया था। दुर्भाग्यवश दासत्व काल के कारण हम अपने स्वाभिमानी अतीत को विस्मृत कर गए और पश्चिमी आँधी की चपेट में आकर अपने ही अस्तित्व पर संदेह करने लगे। घर वापसी से ही भारत के दुर्भाग्य के बादल छटने वाले हैं। इसी घर वापसी की पीड़ा, उत्कंठा, जिज्ञासा ने भारतीय वांग्मय के दशावतारों एवं सामाजिक क्रांति का सू़त्रपात करने वालों जैसे भगवान मत्स्य, भगवान कूम, भगवान वराह, भगवान नरसिंह, भगवान वामन, भगवान परशुराम, भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, महात्मा बुद्ध जगद्गुरु शंकराचार्य आचार्य, चाणक्य, आद्यसरसंचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और भगवान कल्कि आदि को धार्मिक दृष्टि से न देखकर राष्ट्रीय दृष्टि से देखना एवं उनके कार्यों को भावी पीढी के सामने रखकर भारतीय विकासवाद की संकल्पना को मूर्त्त रुप देने का उद्यम ही इस पुस्तक का सार तत्व है जो भविष्य में विकासवाद की सच्चीए पूर्ण मार्गदर्शिका के रुप में स्थापित होकर गौरवशाली अतीत को पुनर्प्राण प्रतिष्ठित करने में पूर्णतया सहायक सिद्ध होगी।
EAN 9789353249236
ISBN 9353249236
Binding Ebook
Publisher Gyan Publishing House
Publication date June 30, 2019
Pages 170
Language Hindi
Country India
Authors सिह, जगराम (Jagarama Simha)