काव्यांजलि किरण (Kāvyāṃjali Kiraṇa)

काव्यांजलि किरण (Kāvyāṃjali Kiraṇa)

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जब बालक मां की गोद से उतरकर धरती मां की गोदी में पैर रखता अथार्त सान्निध्य पाता है तो वह अपने नवनयनों से वृहद् संसार का अनुभव करता है। जिस प्रकार सूर्य क्षितिज के वक्ष को चीरकर प्रथम झलक में प्रखर तीक्ष्ण प्रभाव के साथ अवनि पर तेज रूप में अवतरित होता है, उसी प्रकार भाव भी प्रारम्भिक दिनों की भांति उत्सुक, उत्कंठायुक्त, अतिउत्साही, उमंगयुक्त एवं सानंदयुक्त कदम सीधी तीक्ष्ण धार बनकर प्रकट होता है तब कहीं जाकर सर्वंकष सामाजिक ताने- बाने को नूतन आलोक से आलोकित एवं सुखद गौरव से गौरवान्वित कर सार्वत्रिक बसंत की नूतन छवि का अवलोकन करा कर सर्वत्र आनन्द की अनुभूति कराता है। काव्यांजलि किरण में इन्हीं सबका जैसे उतुंग शिखर से अवनि तल आने वाली प्रखर किरण के प्रणय निवेदन को शब्द रूप में रचित करने का प्रयत्न उसी प्रकार किया है जिस प्रकार धमनियों में तीव्र दौड़ने वाले रक्त के प्रवाह के समान जो धर्म हेतु समर्पित कार्यों द्वारा मानव मात्र की सात्विक मनोवृत्ति को दिशाबोध कराता है।
EAN 9789353248673
ISBN 9353248671
Binding Ebook
Publisher GenNext Publication
Publication date June 30, 2019
Pages 168
Language Hindi
Country India
Authors सिह, जगराम (Jagarama Simha)